पंगवाड़ी भाषा शोध पत्र


लिखित पंगवाड़ी भाषा : एक शुरुवात और उसका इतिहास

जुलाई 2006 में विनया और धनुनजय भाषाविध पहली बार पांगी घाटी में आए। हम तभी भाषाविध के हिसाब से आए थे। हमारा लक्ष्य यह था कि हम पंगवाड़ी भाषा लिख कर यहां के स्थानीय लोगों कि मदद कर सकें। जब लोग पूछते थे, कि हम कौन है? क्या काम करते हैं? हमारा जवाब था कि हम भाषाविध हैं और हमने जो भाषा लिखी नहीं है उस भाषा को लिख कर सहुलियत के हिसाब से मदद करते हैं। जब हमने कहा कि हम लोग खोज करते हैं तो बहुत सारे लोगों ने सोचा कि हम पी० एच० डी० कर रहे हैं। फिर वह और लोगों को भी ऐसा ही बोलने लगे तब सभी लोग हमें पी० एच० डी० की बजह से पहचानने लगे। जब हम पंगवाड़ी मासिक पत्रिका छापने लगे तो बहुत लोगों को इसका सीधा मतलब समझ नहीं आया। हम यह दिखाना चाहते थे कि पंगवाड़ी भाषा में भी किताब, पत्रिका और भी छापने की चीजें बन सकती है।

हमें पांगी आए हुए सात साल हो गए हैं। इस बीच हमने पंगवाड़ी भाषा में वर्ण विचार, व्याकरण और पंगवाड़ी कहानियों पर शोध करके लेख लिखा है क्योंकि यह सब अंग्रेजी में लिखा है उसको आम ईंन्सान नहीं समझ सकते 2011 फुल्लयात्रा मेले में हमने पंगवाड़ी वर्णमाला ब्यौरा किया है तुबारि, बाउए प्यार, मणिहेलु आदि यह सब काम सिर्फ पंगवाड़ी भाषा कि सहुलियत के लिए है न कि पी० एच० डी० के लिए हाँ यह जरुऱी हे कि जब हम अपने लेख किसी विश्वविद्यालय में देकर दो साल पढ़ते हैं तो तब पी० एच० डी० कि डिग्री मिल सकती है पर अभी तक हमने किसी भी विश्वविद्यालय में पी० एच० डी० के लिए दाखिला नहीं लिया है। पर हमने भाषाविग्यान पढ़ा है इसलिए हम भाषा विकास और साक्षरता योजना जिसका नाम एल० डी० एल० पी० और एन० गी० ओ० में लिख कर काम करते है जो भाषा में सहुलियत के लिए काम करते हैं अब हमारा काम बड़ रहा है हम भी इसमें ज्यादा समय नहीं दे पा रहे हैं। हमारा एन० जी० ओ० हमें अलग-अलग काम देते हैं तो अब यह जरुरी हो गया है कि हम सब इक्टठा होकर या एक साथ होकर अपनी भाषा की सहुलियत कर सकें।………… बिनया-आँडरी; धनुंजय-रोसी।

पंगवाड़ी वर्ण विचार :- हर भाषा में स्वर और व्यंजन होते हैं, लिखी हुई नयी भाषा के अन्दर कौन-कौन से स्वर और व्यंजन हैं पता करना और भाषा को सीधा लिखने की शुरुआत करने के लिए वर्ण विचार करना बहुत जरुरी है। भाषाविध बिनाया और धनुंजय ने पहली बार पंगवाड़ी वर्ण विचार किया है। वर्ण विचार या भाषा रिसर्च IPA ध्वनिक में लिखना पड़ता है इसलिए पंगवाड़ी वर्ण विचार भी ध्वनिक के अन्तर्गत लिखा है।


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पंगवाड़ी व्याकरण विचार :- हर भाषा के लिए एक व्याकरण विचार होता है। कुछ लोग कहते हैं कि, पंगवाड़ी जैसे बोलने बाली भाषा का व्याकरण नहीं हो सकता, ये बात गलत है क्योंकि बिना व्याकरण कोई भाषा नहीं बनती। पहली बार व्याकरण पर शौध करने का काम भाषाविध का होता है इसलिए पंगवाड़ी भाषा में भी हमने व्याकरण विचार किया है।



पंगवाड़ी व्याकरण विचार को देखने के लिए यहां दवाएं


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